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लेखनी कहानी -04-Feb-2023 भोले का भक्त : भोला

एक गांव था उसमें एक गरीब लड़का भोला रहता था । जैसा नाम वैसा ही भोला था वह । बिल्कुल मासूम । सबकी सहायता करना उसकी आदत बन चुकी थी । मस्त हवा की तरह पूरे गांव में घूमता था वह । आबाल वृद्ध, स्त्री पुरुष सभी उसे बहुत पसंद करते थे । पढने लिखने में उसका मन नहीं लगता था । उसे तो खेल खेलना पसंद था इसलिए वह दिन भर अपने दोस्तों के संग खेलता रहता था । 

एक दिन उसे शिव मंदिर के पुजारी जी मिल गये । पुजारी जी ने उसे शिव मंदिर आने को कहा । भोला शिव मंदिर चला गया । उसने शिवलिंग को प्रणाम किया और प्रदक्षिणा की । पुजारी जी ने पूजा की फिर प्रसाद दिया । वह प्रसाद भोला को बहुत पसंद आया । फिर तो वह रोज ही मंदिर आने लगा । धीरे धीरे वह पुजारी जी के काम में हाथ बंटाने लगा । पूरी तल्लीनता के साथ मंदिर की सेवा पूजा करने लगा । शिवजी का पूरा भक्त बन गया था वह । धीरे धीरे 25 वर्ष का हो गया था भोला । भोला की शादी कैसे हो ? ना तो वह पढा लिखा था और ना ही कोई काम करता था वह , तो कौन मूर्ख उसे अपनी कन्या देता ? 

उसकी भक्ति देखकर एक दिन पार्वती जी शिवजी से बोलीं 
"प्रभो, भोला कितना भोला है । आज के जमाने में तो लोग इतने फरेबी हो गये हैं कि अपने सगे मां बाप को वृद्धाश्रम में भेजकर मौज उड़ाते हैं । पति अपनी पत्नी के अलावा दूसरी स्त्रियों से संबंध बना रहे हैं । पत्नी अपने पति के पीछे से दूसरे मर्दों से रिश्ते जोड़ रही हैं । भाई भाई का दुश्मन बन गया है और बहन अपनी ही बहन का घर उजाड़ने में लगी हुई है । चेला अपने ही गुरू से छल कर रहा है और गुरू ? उसने भी अपनी मर्यादा लांघ दी है । ऐसे में ये भोला अपने भोलेपन में आपकी भक्ति में लीन है । आपकी भक्ति के अतिरिक्त यह कुछ नहीं करता है । ऐसे अनन्य भक्त का ध्यान रखना आपका कर्तव्य है प्रभु" 
"आप सही कह रही हैं देवि , मुझे भोला जैसे भक्तों पर गर्व है" महादेव जी ने माता पार्वती की बातों से सहमति जताते हुए कहा । 
"केवल गर्व करने से काम नहीं चलेगा प्रभु । भोला 25 वर्ष से अधिक का हो गया है और उसका विवाह अभी तक नहीं हुआ है । वह कितना सीधा सादा है । हर किसी के बहकावे में आ जाता है । उसके बचाव के लिए एक चतुर सी पत्नी की व्यवस्था करो प्रभु जिससे वह गृहस्थ जीवन का आनंद ले सके" माता पार्वती भोला की मां की तरह उसकी पैरवी  कर रही थीं । 
"इस महाशिवरात्रि को देखना देवि, एक चमत्कार होगा । उस चमत्कार से भोला का उद्धार होगा । अब तो आप प्रसन्न हैं न देवि" ? 
"मैं तो उस दिन प्रसन्न होऊंगी जिस दिन भोला का विवाह एक गुणी कन्या से होगा" । माता पार्वती ने मुस्कुराते हुए कहा । 
"जैसी आपकी इच्छा देवि" शंकर भगवान बोले 

महाशिवरात्रि का विशाल मेला लगता था हर साल । दूर दूर के लोग आते थे मेले में । महादेव मंदिर की मान्यता दूर दूर तक थी । लोग मन्नत मांगने आते थे इस मंदिर में । बहुत सारा काम होता था । मंदिर की साफ सफाई, रंगाई पुताई । फूलों की सजावट , बिजली की झल्लर, रंगोली , चांदनी और न जाने क्या क्या । भोला पर सब कुछ निर्भर था । भोला ये कर, भोला वो कर । भोला यहां जा, भोला वहां जा । एक अकेली जान भोला, क्या क्या करे ? दिन रात लगा रहता मगर कभी उफ तक नहीं करता था । उस दिन विशेष पूजा भी होती थी । लोग प्रसाद चढाते थे भगवान शंकर का । महाशिवरात्रि का व्रत भोला भी करता था । भगवान महादेव के दर्शनों के लिए भक्तों की लंबी भीड़ थी । भोला बड़े मीठे भजन सुनाता था । लोग मंत्र मुग्ध होकर उसका भजन सुन रहे थे । 

उस मेले में कृपाशंकर तिवारी का परिवार भी आया था । उनकी पत्नी शीला , पुत्री विदुषी और पुत्र आर्यन भी साथ में थे । विदुषी नाम की ही विदुषी नहीं थी बल्कि वास्तव में वह विदुषी थी । वह बहुत बुद्धिमान और चतुर बाला थी । रूपमती तो थी ही । बीस साल की हो चुकी थी और तिवारी जी उसके लिए कोई योग्य वर की तलाश में थे । तिवारी जी और उनके परिवार ने जब भोला के भजन सुने तो वे झूम उठे । भोला की आवाज में जादू था । एक तो मासूम चेहरा उस पर सुडौल बदन तिस पर मधुर आवाज । किसी षोडशी को रीझने के लिए और क्या चाहिए ? विदुषी भोला पर मर मिटी । जब तिवारी जी ने चलने के लिए कहा तो विदुषी बोली "अभी जल्दी क्या है , चले जायेंगे धीरे धीरे । अभी भजनों में आनंद आ रहा है" । तिवारी जी की पत्नी शीला ने विदुषी के नैनों की भाषा पढ़ ली थी । वह समझ गई कि विदुषी के मन मंदिर में भोला की तस्वीर बैठ चुकी है । उसने परीक्षा लेने के लिए कहा "कैसा बेसुरा भजन गा रहा है ये मूर्ख ? गाना नहीं आता है तो मत गा , चिल्ला क्यों रहा है ? मेरे तो सिर में दर्द होने लगा है" ।
विदुषी ने अपनी मां को खा जाने वाली नजरों से देखा "कितनी मीठी आवाज है ना उनकी , लगता है जैसे साक्षात शिव शंकर भजन सुना रहे हैं" 
अब संशय की कोई गुंजाइश नहीं थी । तिवारन ने इशारे से तिवारी जी से कहा तो तिवारी जी ने भोला को देखकर कहा "लड़का तो ठीक है मगर धंधा पानी कुछ नहीं है" 
शीला ने यह समस्या विदुषी के समक्ष रखी तो विदुषी बोली "क्या पता मेरे भाग्य से इनकी किस्मत चमक जाये" । तिवारी जी ने विदुषी का विवाह भोला से कर दिया । विदुषी को जैसे मन मांगी मुराद मिल गई । 

विदुषी को जल्दी ही पता चल गया कि भोला बिल्कुल ही भोला है उसे कोई भी व्यक्ति आसानी से बेवकूफ बना देता है । विदुषी ने घर की बागडोर अपने हाथ में थाम ली । 

एक दिन पार्वती जी ने शिवजी से कहा "आपने भोला का विवाह तो विदुषी जैसी सुंदर, बुद्धिमान और सुशील कन्या से करा दिया लेकिन उसके घर ख़र्च का कोई इंतजाम नहीं किया । अपना घर कैसे चलायेंगे ये लोग" ? 

शंकर भगवान ने कहा  "इसका समाधान भी कर देता हूं देवि । मंदिर से निकलते ही इसे एक गाय मिलेगी । यह गाय बहुत ही चमत्कारिक गाय है । यह इतना दूध देगी कि उस दूध को बेचकर ये अपने परिवार का भरण पोषण कर सकेगा । और कुछ देवि" ? 
"अभी तो इतना बहुत है, आगे की आगे देखेंगे" माता पार्वती ने मन ही मन शंकर भगवान को धन्यवाद दिया । 

भोला पूजा करके अपने घर की ओर चला तो देखा कि मंदिर के बाहर एक हृष्ट-पुष्ट गाय खड़ी है । भोला ने चारों ओर आवाज लगाई कि यह गाय किसकी है मगर कोई नहीं बोला । थक हार कर भोला उस गाय को अपने साथ अपने घर ले चला । 

रास्ते में ठगों की एक बस्ती पड़ती थी । ठगों ने भोला को एक हृष्ट-पुष्ट गाय के साथ देखा तो उनका माथा ठनका । भोला के पास गाय कहां से आई ? वह भी इतनी सुन्दर  ? उन्होंने जब गाय के बड़े बड़े थन देखे तो उन्होंने सोचा कि यह गाय तो बहुत दूध देने वाली है । ऐसी सुंदर गाय तो उनके पास होनी चाहिए । उस गाय को पाने के लिए उन्होंने युक्ति लगानी शुरू कर दी । फिर सामने भोला था जिसे आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता था । वे पांचों ठग थोड़ी थोड़ी दूर पर रास्ते में खड़े हो गये । 

भोला गाय को लेकर जा रहा था तो उसे रास्ते में पहला ठग मिला और कहने लगा "अरे भोला , ये गाय कहां से ला रहा है" ? 
"मंदिर से" 
"कितने में ली" ? 
"मंदिर के आगे खड़ी थी । कोई धणी धोरी नहीं था तो मैं ले आया" 
"अच्छा तो चोरी की है" ? 
"चोरी की नहीं है । भोलेनाथ की कृपा से मेरे पास आई है" 
"अच्छा ये बात है ? पर इसकी पूंछ तो काली है । काली पूंछ वाली गाय अपशकुनी होती है । और वह गाय यदि लावारिस हो तो फिर महा अपशकुनी होती है" और यह कहकर ठग चलता बना । 
भोला के मन में भ्रम पड़ गया । फिर वह आगे बढ़ा । आगे रास्ते में उसे दूसरा ठग मिला । फिर वही बातें हुईं । दूसरे ठग ने कहा "काली पूंछ वाली लावारिस गाय महा अपशकुनी होती है । इस गाय का दूध जो भी निकालता है , वह भर जाता है" 
भोला सोच में पड़ गया । लेकिन वह और आगे बढ़ा तो तीसरा ठग मिल गया । फिर वही बातें । तीसरा ठग बोला 
"हमारा एक रिश्तेदार एक लावारिस गाय ले आया । उसकी पूंछ के बाल भी काले थे । उसकी घरवाली ने दूध निकाला तो वह मर गई" इतना कहकर तीसरा ठग चला गया । 

अब भोला डर गया था । आगे उसे चौथा ठग मिला । उसने फिर से वही बातें दोहराई तो ठग बोला "अगर मेरे पास ऐसी अपशकुनी गाय होती तो मैं उसे किसी को दान में दे देता" । और वह चलता बना । अब तक भोला इन सब बातों को सुन सुन कर पक गया था । वह भी उस गाय को अपशकुनी मानने लगा था । वह उस गाय को घर नहीं ले जाना चाहता था मगर बीच जंगल में भी नहीं छोड़ना चाहता था । 

आगे पांचवां ठग मिला । पांचवां ठग कुछ बोलता उससे पहले भोला बोल पड़ा "भैया, ये गाय ले लो । मुफ्त में दे रहे हैं" । 
ठग तो ठग था इसलिए बोला "वैसे तो हम किसी से कुछ लेते नहीं हैं पर आप ठहरे पुजारी , आपसे तो ले सकते हैं" भोला गाय ठग को पकड़ा कर भाग छूटा और अपने घर आकर ही उसने दम लिया । अपशकुनी गाय से पीछा छुड़ाकर उसे असीम शांति मिली थी । 

भोला को इस हालत में देखकर विदुषी चौंकी "क्या हुआ" ? 
"अरे वो एक अपशकुनी गाय मिल गई थी । बड़ी मुश्किल से उससे पीछा छुड़ाकर आ रहा हूं" भोला ने हांफते हुए कहा 
"कौन सी गाय ? कैसी अपशकुनी" ? विदुषी ने आश्चर्य से पूछा तो भोला ने सारा किस्सा तफसील से सुना दिया । किस्सा सुनकर विदुषी समझ गई कि भोला को लोगों ने मूर्ख बना दिया है । अब उसे ही वह गाय लानी होगी । उसने कहा "आप थक गये हैं थोड़ा आराम करो । मैं अभी आती हूं" । यह कहकर वह अपने साथ एक बिल्ली और एक पुड़िया लेकर चल दी । 

थोड़ी देर में वह ठगों की बस्ती में पहुंच गई । एक ठग के आंगन में वह गाय बंधी हुई थी । वह समझ गई कि यह वही गाय है । गाय बहुत सुंदर थी और बहुत सारा दूध देने वाली लग रही थी । उसने युक्ति के अनुसार कार्य प्रारंभ कर दिया । उसने मजमा लगाकर लोगों की भीड़ एकत्रित कर ली । फिर बोली 
"भाइयो और बहनो , ये गाय एक विष गाय है । यानि इसके दूध में जहर मिला हुआ है । जो भी व्यक्ति इसका दूध पीयेगा, वह तुरंत मर जायेगा" विदुषी के स्वर में गजब का आत्मविश्वास था । उसकी बातें सुनकर लोगों ने उसका मजाक उड़ाना प्रारंभ कर दिया । तब वह बोली 
"आप सबको मेरी बात का विश्वास नहीं है न ? तो मैं अभी इसका प्रमाण दिखाती हूं" । उसने बिल्ली के मुंह को गाय के थन से लगाया । बिल्ली गाय का दूध पीने लगी । विदुषी ने पुड़िया में से थोड़ा पाउडर सबकी आंख बचाकर निकाला और,उसे बिल्ली को चटा दिया । बिल्ली वहीं जमीन पर गिर पड़ी । उसकी गर्दन एक ओर लुढक गई । तब विदुषी बोली 
"मैंने कहा था ना कि यह गाय एक विष गाय है । जो व्यक्ति इसका दूध पियेगा , वह मर जायेगा । इस बिल्ली ने पिया था इसका दूध , और परिणाम आपके सामने है । अब फैसला आपको करना है । और भी कोई इसका दूध पीना चाहता हो वह आगे आ जाये" । 

किसकी हिम्मत थी जो मरने के लिए आगे आता ? बिल्ली मरी पड़ी थी पास ही में । वहां उपस्थित सब लोगों ने उस गाय को विष गाय गाय मान लिया । सबके दबाव में आकर उस ठग ने वह विष गाय छोड़ दी । विदुषी उसे लेकर अपने घर आ गयी । रात को जब बिल्ली को होश आया तो वह उठकर अपने घर आ गयी । इस तरह विदुषी ने अपनी बुद्धिमानी से वह गाय फिर से हासिल कर ली । 

"ये आपने बहुत बढिया किया प्रभु" पार्वती जी बोलीं 
"अब हमने क्या कर दिया" ? शिव शंकर भगवान चौंके 
"यही कि भोला जैसे भोले लड़के को विदुषी जैसी बुद्धिमान पत्नी दिला दी । अब मेरी चिंता समाप्त हो गई है । मान गई प्रभु आपको, आप अपने भक्तों का पूरा ध्यान रखते है" । 
"रखना पड़ता है देवि । अगर ये भक्त मेरा ध्यान रखते हैं तो मेरा भी तो फर्ज बनता है । बस, इसीलिए मैं अपने भक्तों का पूरा ध्यान रखता हूं" । 

हर हर महादेव  

श्री हरि 
4.2.23 


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12 Comments

Babita patel

25-Jul-2023 02:49 PM

Very nice

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RISHITA

22-Jul-2023 09:25 AM

Mindblowing

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🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Feb-2023 10:52 PM

🙏🙏🙏

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